tag:blogger.com,1999:blog-56668605486284499342024-02-20T11:22:44.945-08:00सचित्र हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु ... सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-1850014984113689772022-02-22T06:51:00.000-08:002022-02-22T06:51:38.957-08:00 कोरोना के बाद बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई...<p>जनता ने जिन नेताओं पर विश्वास जताकर उन्हें जिताकर ताज ए तख़्त पर बैठाया और उम्मीद की थी कि सरकार त्वरित कार्यवाही करेगी और जनता को बढ़ रही मंहगाई से राहत मिलेगी . सरकार बनते ही जिस तरह से मंहगाई ने तांडव नृत्य कर अपना असर दिखाना शुरू किया और उसने जनता जनार्दन की कमर ही तोड़ कर रख दी है . पहले दाल ने अपना असर दिखाया जिससे जनता जनार्दन की दाल पतली हो गई और दाल मंहगी होने के कारण गरीबो के घर में पक नहीं रही है . पिछले साल शक्कर के मूल्य भाव २७ से २८ रुपये प्रति किलोग्राम थे आज अचानक शक्कर के मूल्य ४५ रुपये पचास पैसे हो गए है और सुनने में आया है कि शक्कर के भाव पचास रुपये तक करने की साजिशे की जा रही है . कोरोना काल से लेकर अभी तक सभी आवश्यक उपयोगी वस्तुओं के मूल्यों में जबरजस्त बढ़ोतरी की गई है . <br /><br />सरकार की गलत नीतियों के कारण पूरा मार्केट बुरी तरह से वायदा बाजार और सटोलियो के चंगुल में फंसा है . सटोलियो और बिचौलियो द्धारा भारी स्तर पर की जाने वाली कमीशनखोरी के चलते बाजार में आवश्यक वस्तुओ की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है . बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है जिसका खामियाजा जनता जनार्दन को भुगतना पड़ रहा है .<br /><br />जबलपुर शहर में दूध के रेट दस साल पहले करीब पंद्रह से सोलह रुपये लीटर थे और दूध माफियो के चलते आज जबलपुर शहर में दूध 55 रुपये लीटर बेचा जा रहा है और दूध को साठ रुपये लीटर बेचे जाने की कोशिशे की जा रही है . दूध जो बच्चो का आवश्यक आहार निवाला है क्या वो भी मंहगा होने के कारण बच्चो को नसीब नहीं होगा . यह सब देखकर दुःख होता है . क्या सरकार ने गांधारी की तरह आँखों में पट्टी बांधकर व्यापारियो को खुली छूट दे दी है कि तुम रेट बढाओ हम तुम्हारे साथ है . बढ़ती हुई मंहगाई को नियंत्रित करने हेतु केंद्र शासन और राज्य शासन कोई भी कार्यवाही नहीं कर रही हैं और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी है . <br /><br />अब समय आ गया है कि जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को जनता के सुख दुःख की परवाह नहीं है तो बढ़ती मंहगाई के खिलाफ जनता जनार्दन को खुद आगे आना होगा वरना इसके परिणाम भुगतने तैयार रहना होगा . मंहगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर सभी वर्गों पर पड़ता है इसीलिए हम सभी को सजग रहना चाहिए और हर हाल में बढ़ती हुई मंहगाई के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए .<br /><br /></p>सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-86515450677475757582020-05-12T00:29:00.002-07:002020-05-12T00:29:30.911-07:00जीवन में उच्चता पैसों से नहीं सत्कार्यों से आती है ....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />कश्मीर के महामनीषी कल्लट जो स्कंदकारिका के प्रणेता थे सच्चे अर्थों में ब्रामण थे। उनका जीवन धर्म अपरिग्रह था । काशी नगरी के कुछ विद्धान ब्रामण एक बार उनके दर्शन करने के लिये आये थे । महामनीषी कल्लट बहुत ही अभावग्रस्त थे फिर भी उनसे जो भी बन सका उन्होंने उन अतिथि ब्रामणों का यथोचित सम्मान किया । विद्धानों को उन्हें अभावग्रस्त देख कर बहुत बुरा लगा और इसके लिए उन ब्रामणों ने कश्मीर नरेश को जाकर बहुत धिक्कारा ।<br />
<br />
कश्मीर नरेश ने तत्काल एक जागीर का दानपत्र महामनीषी कल्लट के नाम लिख़वाकर उन विद्धानों को दे दिया । यह देख कर उन विद्धानों को बड़ी प्रसन्नता हुई कि उनके प्रयास सफल हुए हैं । वे विद्धान प्रसन्नतापूर्वक तत्काल दानपत्र को मनीषी कल्लट के पास ले कर गए और उन ब्रामणों ने यह दानपत्र महामनीषी कल्लट को सौंप दिया तो वे तुरंत अपनी पत्नी के साथ कश्मीर छोड़कर जाने की तैयारी करने लगे ।<br />
<br />
काशी से आये ब्रामण विद्धानों ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो वे बोले - खेद का विषय है कि आप सबने अपरिग्रह को दरिद्रता समझ लिया है । अपरिग्रह ब्रामण के जीवन का चरम आदर्श होता है । ब्रामण होने का अर्थ जाति से नहीं वरन अपरिग्रह के रूप में समाज के सामने एक आदर्श की स्थापना करने से होता है जिसके माध्यम से हम समाज को एक सीख देने में सक्षम हो पाते हैं कि जीवन में उच्चता पैसों से नहीं अपितु सत्कार्यों से आती है । मैंने संपूर्ण ब्रामणत्व की आराधना की है और यही मेरे जीवन में ज्ञान का आधार है । काशी से आये उन विद्धानों को तुरंत अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने वह दानपत्र कश्मीर नरेश को वापिस लौटा दिया और महामनीषी से क्षमा मांगी । </div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-68022764174042291342020-05-10T04:24:00.003-07:002020-05-10T04:25:46.187-07:00ब्लागर पच्चीसी : खूसट ब्लॉगर की आत्मा और ब्लागर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक गहरी अँधेरी रात में सुनसान श्मशान घाट में एक ब्लॉगर पहुंचा और पेड़ से एक खूसट ब्लॉगर का शव उतारा और अपने कंधे पर लादकर उसे लेकर चल पड़ा . रास्ते में ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर से कहा - पहले मेरे सवाल का जबाब दो वरना तुम्हारा सर टुकडे टुकडे हो जायेगा....ब्लॉगर हँसता कब है और रोता कब है ?<br />
<br />
ब्लॉगर ने उत्तर दिया - जब ब्लॉगर अपना पहला ब्लॉग बनाता है और उसे देखकर बहुत खुश होता है और जब वह अपने ब्लॉग पर पहली पोस्ट डालता है तो वह अपने आपको किसी तुर्रम खाँ से कम नहीं समझता . रातोरात लेखन की दुनिया में प्रसिद्दी पाने के सपने देखने लगता है और अपने आपको बहुत बड़ा लेखक और साहित्यकार समझने लगता है भलाई वह यहाँ वहां से दूसरे की रचनाओं को चुराकर लिखता हो . जब ब्लागर को अधिक टिप्पणी मिलती हैं तो वह उन्हें पढ़ पढ़कर बहुत खुश होता है .<br />
<br />
ब्लागर उस समय भी बहुत खुश होता है जब वह अपनी पोस्ट का आंकड़ा बढ़ता देखता है याने सैकड़ा दो सौ पांच सौ पोस्ट ..... जब सैकड़ा भर पोस्ट हो जाती है तो वह सेंचुरियन के नाम से अपने आपको सचिन तेंदुलकर से कम नहीं समझता है जिसने जैसे सैकड़ा मार दिया हो . जब किसी ब्लॉगर की पोस्ट ब्लॉग से सीधे अखबारों में प्रकाशित होती है तो बेचारा फ़ोकट में बहुत खुश हो जाता है भलाई अखबार वाले उसे धिलिया न दे रहे हों .<br />
हाँ तो ये भी सुन लो ब्लागर रोता कब है ....जरा ध्यान से सुनना ... जब कोई ब्लॉगर प्रतिष्ठा के शीर्ष पर बैठ जाता है और घमंड के कारण उसकी कलम यहाँ वहां भटकने लगती है और वह उल जुलूल लिखने लगती है . वह रावण की तरह सबकी खिल्लियाँ उड़ाने लगता है वह अमर्यादित हो जाता है . एक समय यह आता है की वह कूप मंडूक की तरह हो जाता है और अकेला पड़ जाता है फिर उसे कोई पूछने वाला नहीं होता है तब वह अपने माथा ठोककर अपनी करनी और कथनी पर विचार करता हुआ रोता है . जब वह खूब कलम घसीटी करता है पर उसकी पोस्ट को पढ़ने वाले नहीं मिलते हैं ब्लॉगर तब भी खूब रोता है .<br />
<br />
ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर को एक झटका मारा और कहा हे ब्लॉगर तुम ठीक कहते हो अरे तुम तो ब्लागजगत के कोई घिसे पिटे जोद्धा दिखाई दे रहे और हा हा हा कहते हुए आसमान की और उड़ गया .</div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-84989694550908547072020-05-09T02:56:00.001-07:002020-05-09T02:56:11.864-07:00सिद्धांतनिष्ठा ही व्यक्ति को महान बनाती है ..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कार्ल मार्क्स लन्दन में निर्वासित जीवन जी रहे थे और उन्हें फ़्रांस और जर्मनी की सरकारों ने क्रन्तिकारी घोषित कर दिया था । प्रवास के दौरान लन्दन में कार्ल मार्क्स को घोर आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था । यहाँ तक कि गरीबी के कारण उनके दो बच्चों की मृत्यु भी हो गई थी ।<br />
<br />
जर्मनी में उन दिनों प्रधानमंत्री बिस्मार्क थे । उन दिनों जर्मनी पूँजीवादी देशों में सबसे आगे था । बिस्मार्क ने कार्ल मार्क्स को धन की लालच देकर खरीदना चाहा जिससे कार्ल मार्क्स के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकें । उन्होंने कार्ल मार्क्स को इस आशय का प्रस्ताव प्रेषित किया परन्तु कार्ल मार्क्स अपने निश्चय पर अटल रहे और जनकल्याण के प्रति निष्ठावान रहे और टस से मस भी नहीं हुये ।<br />
<br />
बिस्मार्क ने उन्हें धन की लालच देकर खरीदना भी चाहा और उसकी योजना निष्फल हो गई । कार्ल मार्क्स को सिद्धांतनिष्ठा ने उन्हें महान बना दिया । कहने का आशय यह है कि व्यक्ति के सिद्धांत और निष्ठा ही उसे महान बना देती है । </div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-83504711318868892242020-05-07T21:46:00.002-07:002020-05-07T22:00:18.177-07:00प्लास्टिक/ पॉलीथिन से होने वाली हानियों से सावधान रहने की जरुरत है ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्लास्टिक से होने वाली हानियों के प्रति अब सचेत होने की आवश्यकता है। प्लास्टिक की थैलियां और इनसे बनी सामग्री हमारे जीवन में इस कदर घुल मिल गई है कि इनके वगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है । कहीं न कहीं इनका उपयोग होता है, ये मजबूत होती है और लोगबाग उपयोग करने के बाद इन्हें फेंक देते हैं और ये नष्ट नहीं होती हैं । फेंक देने के बाद ये जहरीले कचरे के रूप में एकत्रित होकर धरती के वातावरण को विषाक्त बना रही हैं ।<br />
<br />
प्लास्टिक से पर्यावरण और मानव जीवन के लिए हानिकारक और इनसे पड़ने वाले बुरे प्रभावों के बारे में हर कोई बात तो करता है परन्तु इसका ठोस विकल्प किसी को भी सूझ नहीं रहा है । इनसे बनी चींजे उपयोग में तो लाई जाती हैं परन्तु इन्हें नष्ट होने में काफी समय लगता है । देश के 60 से अधिक महानगरों में प्रतिदिन 4000 टन प्लास्टिक/पॉलीथिन का कचरा निकल रहा है और इनसे निकलने वाली प्रदूषित गैसें हमारे वायुमंडल को दिनोंदिन विषाक्त कर रही है और मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हैं और इनके निस्तारण से महानगरों में दिनोंदिन जगह भी कम पड़ती जा रही है ।<br />
<br />
एक जानकारी के अनुसार चेन्नई , मुम्बई ,कलकत्ता, हैदराबाद, बैंगलौर जैसे बड़े महानगर प्रतिदिन सर्वाधिक प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहे हैं । प्लास्टिक/पॉलीथिन की बोतल में दूध और अन्य पेय और अन्य सामग्री पैक की जा रही है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं । प्लास्टिक/पॉलीथिन में रखी सामग्रियां धूप और गर्मी के कारण इनमें रसायनिक क्रियाएं होने के कारण वे सामग्रियां भी विषाक्त हो जाती हैं जो मानव जीवन को नुकसान पहुँचाती हैं ।<br />
<br />
इसके निर्माण में जैविक कार्बनिक एस्सटर का उपयोग किया जाता है और इनको कलरफुल बनाने के लिए इनमें केडनियम और जस्ता जैसे विषाक्त धातुओं का उपयोग भी किया जाता है । इनसे बनी थैलियों और डब्बों में खादय सामग्री और पेयजल रखे जाते हैं तो इनसे निकलने वाले तत्व और जहरीली गैसे सामग्री और पेय सामग्री को जहरीली बना देते हैं जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हानिकारक सिद्ध होते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म दे देते हैं । प्लास्टिक की बोतले और थैलियां सस्ती होती हैं इसलिए इनका अधिकाधिक उपयोग किया जाता है ।<br />
<br />
सरकार के द्धारा अधिसूचना भी जारी की गई है कि इनका उपयोग करना बंद किया जाना चाहिए । आम जनों को भी अब जागरूक होने की जरुरत है कि इनका उपयोग करना बंद कर दें जिससे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हो और साथ ही पृथ्वी का वायुमंडल भी प्रदूषित न हो । हमारी दिनचर्या में ऐसी चीजों का यदि उपयोग किया जाता है तो हमें तत्काल प्रभाव से इन्हें बंद कर देना चाहिए । सरकार को भी चाहिए कि इसके कचरे को जला कर बिजली बनाएं और सड़क जैसे निर्माण कार्य में / राजमार्ग बनाने की योजनाओं पर विचार करें । इनका उपयोग करना बंद कराये साथ ही जिससे प्रदूषण भी न हो और वायुमंडल भी विषाक्त न हो साथ ही मानव जीवन भी सुरक्षित रहें । </div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-13514782691790157602020-05-06T07:36:00.001-07:002020-05-06T07:36:08.249-07:00चुटकुले हँसने के लिए ....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्रेमिका - क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो ?<br />
प्रेमी - इसमें क्या संदेह है .<br />
प्रेमिका - तो क्या तुम मेरे लिए मर भी सकते हो ?<br />
प्रेमी - नहीं प्रिये मेरा अमर प्रेम है.<br />
-----<br />
<br />
एक रेस्टारेंट के मैनेजर से एक ग्राहक ने शिकायत की तुम्हारे यहाँ के नौकर बड़े बदतमीज हैं बार बार आवाज देकर बुलाने पर भी नहीं आते हैं .<br />
रेस्टारेंट के मैनेजर ने ग्राहक से खेद प्रगट करते हुए नौकरों को उसके सामने इन शब्दों में कुछ इस तरह से फटकार लगाईं - गधे पाजी नामाकूल साहब कब से कुत्ते की तरह भौक रहे हैं और तू है कि सुनता नहीं . अगर यही हाल सर्विस का रहा तो कौन उल्लू का पट्ठा यहाँ दोबारा आयेगा .<br />
-----<br />
<br />
पति अपनी पत्नी से - दुनिया में कैसे कैसे चार सौ बीस पड़े हैं सुबह सुबह दूधवाला मुझे खोटी चवन्नी पकड़ा गया . कहाँ है वह खोटी चवन्नी ?<br />
पत्नी - मैंने वह सब्जीवाले को दे दी और धनिया खरीद ली .<br />
----<br />
<br />
टिर्री टिर्रा से - एक नई बीमा की योजना बनी है जो बहुत अच्छी है जब तुम नब्बे के हो जाओगे तो तुम्हें हर माह ढाई सौ रुपये मिलने लगेंगे इस तरह आप अपने माँ बाप के लिए बौझा साबित नहीं होंगे .<br />
-----<br />
<br />
एक साहब ने अपनी नई नवेली स्टेनो को एक लंबी चिट्ठी डिक्टेट कराई और अंत में पूछा - मिस मेरी कुछ पूछना हो तो बताओ ?<br />
स्टेनो - सर आपने डिअर सर और यूअर्स फैथफुली के बीच में क्या लिखवाया था ?<br />
-----</div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-47497862725654503822020-05-06T01:39:00.002-07:002020-05-06T01:57:06.977-07:00उपलब्धियों का मूल्यांकन कठिन और विषम समय में ही होता है ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक धूपबत्ती बहुत धुंआ कर रही थी तो उसका उपहास उड़ाते हुये उसकी साथी मोमबत्ती ने कहा - मुझ से तुम शिक्षा क्यों ग्रहण नहीं करती हो । आगे फिर मोमबत्ती ने कहा - देखो मेरा प्रकाश चारों ओर फ़ैल रहा है और सभी मेरी ओर मेरे प्रकाश को देखते रहते हैं और एक तुम हो कि हमेशा धुंआ फैलाने में लगी रहती हो ।<br />
<br />
धूपबत्ती ने कहा - यह सब ठीक है परन्तु जीवन में जब परीक्षा का समय आएं तब धैर्य के साथ तुम क्या अडिग रह सकोगी तो ही तुम्हारी इस चमक की सार्थकता सिद्ध होगी । धूपबत्ती की बात को मोमबत्ती ने अनसुनी कर दी और उसकी बात को मजाक समझकर हवा में उड़ा दी ।<br />
<br />
कुछ समय बाद एक तेज हवा का झोंका आया और मोमबत्ती बुझ गई परन्तु हवा के तेज प्रवाह से धूपबत्ती ने तीव्रता के साथ चारों और सुगंध फैलाना शुरू कर दिया वहां उपस्थित लोगबाग धूपबत्ती की सुगंध से प्रसन्न हो गये । तब जाकर मोमबत्ती को यह अहसास हो गया कि क्षणिक उपलब्धता पर अहंकार करना मूर्खता के सिवा कुछ नहीं है । उपलब्धियों का मूल्यांकन कठिन विषम समय में ही होता है । </div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-26605534840828755662020-05-06T00:32:00.002-07:002020-05-06T00:32:17.723-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 class="post-title entry-title" itemprop="name">
महिला दिवस पर - देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
</h3>
<div class="post-header">
</div>
आज देश के साथ सारे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम के साथ
मनाया जा रहा है . आज के दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक
कराने और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए तरह तरह के आयोजन
किये जा रहे हैं .<br />
<br />
ब्लागजगत में नर नारी अपनी अपनी अहमियत साबित करने में
जोड़ तोड़ से जुटे हैं इस परिस्थिति में महिला दिवस पर ब्लॉग में लिखने की
बहुत इच्छा थी पर मन में डर समाया था की कहीं कोई पंगे की बात न हो जाए
इसीलिए आज सारे दिन मन मसोस कर रह गया फिर भी महिला शक्ति को नमन और प्रणाम
करते हुए यह रचना " देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर " प्रस्तुत कर रहा हूँ
जिसकी रचनाकार माया वर्माजी हैं और यह रचना युग निर्माण योजना के सौजन्य से
प्रकाशित कर रहा हूँ .<br />
<br />
<strong>देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर</strong><br />
<br />
देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर <br />
युग स्वयं ही बदलता जायेगा<br />
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर<br />
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा<br />
<br />
वीर संतान से कोख ख़ाली नहीं <br />
गोद में कौन सी शक्ति पाली नहीं<br />
जनानियाँ शक्ति को साध पाए अगर <br />
शौर्य शिशुओ में बढ़ता चला जायेगा <br />
<br />
मूर्ती पुरुषार्थ में है सदाचार की<br />
पूर्ती श्रम से सहज साध्य अधिकार की<br />
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर<br />
पति स्वयं ही बदलता जायेगा <br />
<br />
छोड़ दें नारियां यह गलत रूढ़ियाँ<br />
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ <br />
नारियां दुष्प्रथाये मिटाए अगर <br />
दंभ का दम निकालता चला जायेगा <br />
<br />
धर्म का वास्तविक रूप हो सामने<br />
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने <br />
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर <br />
ज्ञान का दीप जलाता चला जायेगा <br />
<br />
यह धरा स्वर्ग सी फिर संवरने लगे<br />
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे <br />
देवियाँ दिव्य चिंतन जगाएं अगर <br />
हर मनुज देव बनता चला जायेगा.<br />
<br />
<br />
लेखिका - माया वर्मा<br />
साभार - युग निर्माण योजना के सौजन्य से
</div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-56426782561432523212020-05-06T00:23:00.002-07:002020-05-06T00:23:19.612-07:00कोरोना वायरस से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-header">
</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;">
कोरोना वायरस चीन के बुहान शहर से निकल कर सारे विश्व में फ़ैल गया है और इस
संक्रामक वायरस से लाखों लोग पीड़ित हैं । कई देश इसके आगे घुटने टेक चुके
हैं और हजारों लोगों काल के गाल में समा गए हैं । सुपर पावर कहे जाने वाले
अमेरिका शक्तिशाली देश भी इसके आगे घुटने टेक चुके हैं । यह वायरस हमारे
देश में तेजी से फ़ैल रहा है और हजारों लोगबाग पीड़ित हैं और इससे कई लोगों
की मृत्यु हो गई है । कोरोना वायरस से बचाव हेतु कुछ आवश्यक सावधानी रखना
बहुत जरुरी है ।<br /><br />1. बाहर जाने पर मास्क का उपयोग करना बहुत जरुरी है ।<br />2. बाहर से आने के पश्चात अपने कपड़े धो लें या इन्हें धूप में रख दें जिससे इसके वायरस नष्ट हो जाते हैं ।<br />3. अपने हाथों को साबुन से दिन में कम से कम धोते रहें ।<br />4. बाहरी व्यक्ति से आवश्यक सामग्री और सब्जी न लें और अपने परिचित व्यक्ति या दुकानदार से सामग्री / सब्जी वगैरा खरीदें ।<br />5. सर्दी खाँसी वाले व्यक्ति से दूरी बनाकर रहें और डिस्टेंसिंग का पालन करें ।<br />6. सर्दी या कफ हो तो गुनगुने पानी में नमक डाल कर गरारे करें ।<br />7. एक चम्मच हल्दी दूध या पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करें ।<br />8.
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी, कालीमिर्च, अदरक, लौंग, अजवाईन, तुलसी का
काढ़ा तैयार कर नियमित सेवन करें इससे किसी भी तरह के वायरस से आपका बचाव
होगा और आप स्वस्थ रहेंगें । बीमार वृद्ध व्यक्तियों को कमजोर रहने पर रहने
पर कोरोना और अन्य तरह के वायरस आपको बीमार कर सकते है.</div>
</div>
सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-35026494837819628122020-05-06T00:22:00.000-07:002020-05-06T00:22:01.985-07:00लगातार संघर्ष करने से सफलता अर्जित होती है ....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-header">
</div>
<div dir="ltr" style="text-align: left;">
महाभारत में भीषण
युद्ध चल रहा था । युद्द भूमि में गुरु और शिष्य आमने सामने थे । दुर्योधन
की तरफ से द्रोणाचार्य और पांडवों की ओर से अर्जुन युध्द के मैदान में खड़े
थे । अर्जुन को द्रोणाचार्य ने धनुष विद्या सिखाई थी और द्रोणाचार्य अर्जुन
के समक्ष युध्द के मैदान में असहाय दिख रहे थे ।<br />
<br />
कौरवों ने अपने गुरु
द्रोणाचार्य से कहा - आप तो अर्जुन से युद्द हार रहे हैं और आपका शिष्य जीत
रहा है तो द्रोणाचार्य ने कहा - मुझे राजसुख भोगते हुए कई वर्ष गुजर गए
हैं और अर्जुन जीवन भर लगातार संघर्ष करता रहा है और निरंतर अनेकों
कठिनाइयों से जूझता रहा है । जो राजसुख भोगता है और जिसे हर तरह की सुविधा
मिलती रहती है वह अपनी शक्ति और सामर्थ्य खो बैठता है और लगातार संघर्ष
करने वाले को निरंतर शक्ति और नित नई ऊर्जा प्राप्त होती रहती है ।<br />
<br />
इतिहास
इस बात का साक्षी है कि कठिनाइयों के कीचड में ही सफलता का कमल खिलता है
इसी तरह का हाल अर्जुन का भी है । जिसका जीवन प्रतिरोधों और चुनौतियों से
घिरा रहता है वह लगातार प्रखर होता जाता है । जिस दिन व्यक्ति की
प्रतिकूलताएँ समाप्त हो जाती हैं और वह प्रमाद ग्रस्त होने लगता है ।
महर्षि अरविंद जी कहते थे कि दुःख भगवान के हाथों का हथौड़ा है उसी के
माध्यम से मनुष्य का जीवन संवरता है । जितना आप जीवन में लगातार संघर्ष
करेंगें उतनी ही ज्यादा आपको सफलता मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है । </div>
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सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-15608345727537768972020-05-06T00:19:00.004-07:002020-05-06T00:19:45.422-07:00कोरोना महामारी को लेकर अधिक दिन लॉक डाउन बढ़ने की अब उम्मीद न करें ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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कोरोना वायरस से सारी दुनिया परेशान है और इस महामारी ने सारी दुनिया में
अपने पैर पसार लिए हैं और दिनोंदिन यह महामारी बढ़ती ही जा रही है । दुनिया
के बड़े बड़े देशों ने इस महामारी के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं और लाखों
लोग काल के गाल में समां गए हैं और लाखों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित
हैं । अपने देश में करीब 44 हजार व्यक्ति संक्रमित हो गए हैं और इनमें से
करीब 1500 लोग ही स्वस्थ हो पाये हैं तथा हजारों व्यक्ति अभी भी अस्वस्थ
हैं और उनका इलाज चल रहा है ।<br />
<br />
सरकार अब इस स्थिति में नहीं है कि अधिक समय तक लॉक डाउन की समयावधि
बढ़ायें । अधिक समय तक लॉक डाउन बढ़ाने के कारण देश की आर्थिक स्थिति चरमरा
रही हैं और देश का अर्थ तंत्र कमजोर हो रहा है । इस महामारी के चलते मार्च
2020 से लेकर अभी तक सरकार के द्धारा इस महामारी से बचने के उपाय आप सभी को
समझा दिये गए हैं । जैसे भीड़ में एकत्रित न होना, बार बार हाथ धोना, गर्म
पानी के साथ हल्दी का सेवन करना, घर को ऑफिस को सेनिटाइज करना, घर के बाहर
जाने पर मास्क पहिनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, इम्युनिटी को बढ़ाने
के लिए काढ़े का उपयोग करना शामिल है ।<br />
<br />
अब जिम्मेदारी आपकी बनती है कि आप देशहित में उपरोक्तों का पालन करें और
खुद अपने आपको स्वस्थ रखें । बीमार होने के बाद और देश और दुनिया की
स्थिति को आप देख रहे हैं । सरकार हमेशा आपकी चौकीदारी नहीं करेगी । सरकार
लंबे समय तक लॉक डाउन की सीमा नहीं बढ़ायेगी और अधिक सख्ती नहीं करेगी ।
आप खुद समझदार हैं अपनी दिनचर्या अपने दिये गए सुझावों के अनुसार बदल लें
और स्वस्थ और प्रसन्न रहें । देश के विकास और देश के अर्थतंत्र को मजबूत
करने में जुट जाएँ ।<br />
<br />
जय हिन्द<br />
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लेख - महेन्द्र मिश्रा, जबलपुर </div>
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सचित्रhttp://www.blogger.com/profile/08389120423654104424noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5666860548628449934.post-2708385191528374222020-05-06T00:08:00.003-07:002020-05-06T00:08:24.200-07:00अपने बच्चों को संस्कारवान बनायें ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार ही होता है और परिवार से बच्चों को अच्छे और बुरे संस्कार मिलते हैं । बच्चों को परिवार का वातावरण उन्हें प्रभावित करता हैं वे जिस वातावरण में रहते हैं उसी के अनुरूप ढल जाते हैं । एक बार एक माँ अपने बच्चे को बुरी तरह से पीट रही थी । पड़ोस की एक महिला ने देखा कि वह महिला अपने छोटे से बच्चों को पीट रही है यह देख कर उससे रहा न गया और उसने दौड़कर बच्चे को बचा लिया फिर उसने बच्चे की माँ से पूछा कि इस बच्चे को तुम बुरी तरह से क्यों पीट रही हो । बच्चे की मां ने पड़ोस की महिला को बताया की आज इसने चोरी की है और मंदिर की दानपेटी से इसने रुपये पैसे चुराए है और बच्चे की इस हरकत से उसे गुस्सा आ गया है इसीलिए वह अपने बच्चे को पीट रही है । बच्चे से पड़ोस की महिला ने बड़े प्यार से पूछा और कहा अरे तुम तो बहुत अच्छे बच्चे हो गंदे बच्चे चोरी करते हैं ।<br /><br />बच्चे ने पडोसी महिला को बताया कि मेरी मां भी चोरी करती है और मेरी माँ प्रतिदिन मामा के यहाँ जो दूध आता है उसमें से आधा दूध निकाल लेती हैं और दूध में आधा पानी मिला देती है यह चोरी नहीं है तो क्या है और मुझ से कहती है कि ये सब मामा को नहीं बताना । बच्चे ने पड़ोसी महिला को बताया कि उसने पहली बार मंदिर की दानपेटी से रुपये पैसों की चोरी की है । यह सब सुनकर बच्चे की मां हतप्रद हो गई और उससे फिर कुछ कहते नहीं बन पड़ा ।<br /><br />यदि हम अच्छे संस्कार और अच्छे गुण अपने बच्चों को देना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें और परिवार जनों को अच्छे गुण और संस्कार खुद धारण करना चाहिए । आपके अच्छे गुण और अच्छे संस्कार को देख कर बच्चे अच्छे संस्कार और अच्छे गुण ग्रहण करते हैं । परिवार ही बच्चों की प्राथमिक पाठशाला है जहाँ से बच्चे अच्छे और बुरे संस्कार ग्रहण करते हैं । आप संस्कारवान बनें और अपने बच्चों को भी संस्कारवान बनाएं जिससे और समाज भी संस्कारवान बन सकें । </div>
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