Tuesday 22 February 2022

कोरोना के बाद बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई...

जनता ने जिन नेताओं पर विश्वास जताकर उन्हें जिताकर ताज ए तख़्त पर बैठाया और उम्मीद की थी कि सरकार त्वरित कार्यवाही करेगी और जनता को बढ़ रही मंहगाई से राहत मिलेगी . सरकार बनते ही जिस तरह से मंहगाई ने तांडव नृत्य कर अपना असर दिखाना शुरू किया और उसने जनता जनार्दन की कमर ही तोड़ कर रख दी है  . पहले दाल ने अपना असर दिखाया जिससे जनता जनार्दन की दाल पतली हो गई और दाल मंहगी होने के कारण गरीबो के घर में  पक नहीं रही है . पिछले साल शक्कर के मूल्य भाव २७ से २८ रुपये प्रति किलोग्राम थे आज अचानक शक्कर के मूल्य ४५ रुपये पचास पैसे हो गए है और सुनने में आया है कि शक्कर के भाव पचास रुपये तक करने की साजिशे की जा रही है . कोरोना काल से लेकर अभी तक सभी आवश्यक उपयोगी वस्तुओं के मूल्यों में जबरजस्त बढ़ोतरी की गई है .   

सरकार की गलत नीतियों के कारण पूरा मार्केट बुरी तरह से वायदा बाजार और सटोलियो के चंगुल में फंसा है . सटोलियो और बिचौलियो द्धारा भारी स्तर पर की जाने वाली कमीशनखोरी के चलते बाजार में आवश्यक वस्तुओ की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है . बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है जिसका खामियाजा जनता जनार्दन को भुगतना पड़ रहा है .

जबलपुर शहर में दूध के रेट दस साल पहले करीब पंद्रह से सोलह रुपये लीटर थे और दूध माफियो के चलते आज जबलपुर शहर में दूध 55 रुपये लीटर बेचा जा रहा है और दूध को साठ  रुपये लीटर बेचे जाने की कोशिशे की जा रही है . दूध जो बच्चो का आवश्यक आहार निवाला है क्या वो भी मंहगा होने के कारण बच्चो को नसीब नहीं होगा . यह सब देखकर दुःख होता है . क्या सरकार ने गांधारी की तरह आँखों में पट्टी बांधकर व्यापारियो को खुली छूट दे दी है कि तुम रेट बढाओ हम तुम्हारे साथ है . बढ़ती हुई मंहगाई को नियंत्रित करने हेतु केंद्र शासन और राज्य शासन कोई भी कार्यवाही नहीं कर रही हैं और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी है .

अब समय आ गया है कि जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को जनता के सुख दुःख की परवाह नहीं है तो बढ़ती मंहगाई के खिलाफ जनता जनार्दन को खुद आगे आना होगा वरना इसके परिणाम भुगतने तैयार रहना होगा . मंहगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर सभी वर्गों पर पड़ता है इसीलिए हम सभी को सजग रहना चाहिए और हर हाल में बढ़ती हुई मंहगाई के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए .

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